इससे पहले कोई और बोले, तुम अपनी गलती मानलो

प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री दुनियां को यह समझाने की कोशिश कर रही है कि सबको अपनी कमियों के बारे में सच पता होता है इसलिए इससे पहले कोई और आपको टोके आप अपनी गलती को मानलो अपनी गलती खुद मान लेने में कई रिश्ते टूटने से बच जाते है और दूसरे को भी अपनी गलती का एहसास होजाता है.

इससे पहले कोई और बोले, तुम अपनी गलती मानलो

याद रखना दोस्तों बात-बात पर दूसरों की गलतियाँ ढूंढ़ना आसान है लेकिन खुदको संभालना बहुत ही मुश्किल जो बात-बात पर खुदको संभालता है उसको जीवन में आये हर तूफ़ान हलके लगते है क्योंकि वो नियंत्रण प्रयास करता है खुदको संभालने का लेकिन ऐसी आदत एक दिन में नहीं आती कई वर्ष लगते है कई परीक्षाये देनी पड़ती है। माफ़ करना भी एक बहुत ही अच्छी कला है क्योंकि आज अगर आप किसी को माफ़ कर दोगे तो कल गलती होने पर कोई आपको माफ़ कर देगा.

अब आप इस कविता का आनंद ले।

इससे पहले कोई और बोले,
तुम अपनी गलती मानलो।
तुम्हारे दुखो के कारण तुम ही हो,
इस बात की गहराई को तुम वक़्त पर पहचान लो।
ना जाने तुम्हारी सच्चाई,
तुम्हे कहाँ तक ले जाये।
तुम रहो ना रहो इस दुनियां में,
मगर तुम्हारी यादो के तिरंगे दूर तक लहराये।
हर बात पर नुक्स निकाल,
तुम दूर तक नहीं जाओगे।
अपनी इन्ही छोटी-छोटी गलतियों के लिए तुम बाद में पछताओगे।
माफ़ कर दूसरो को तुम अपना गौरव बढ़ाओ।
अपने को संभाल पहले,
फिर दूसरो को भी तुम सही रास्ता दिखाओ।
जो गलती आज दूसरों ने करी,
वो कल तुमसे भी हो सकती है।
अपने दुखो की टोकरी ही क्यों,
यहाँ सबको भारी लगती है??

धन्यवाद

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.