रामानुजन् का जन्म 22 दिसम्बर1887 को भारत के दक्षिणी भूभाग में स्थित कोयंबटूर के ईरोड नामके गांव में हुआ था। वह पारंपरिक ब्राह्मण परिवार में जन्मे थे। इनकी की माता का नाम कोमलताम्मल और इनके पिता का नाम श्रीनिवास अय्यंगर था।
इनका बचपन मुख्यतः कुंभकोणम में बीता था जो कि अपने प्राचीन मंदिरों के लिए जाना जाता है। बचपन में रामानुजन् का बौद्धिक विकास सामान्य बालकों जैसा नहीं था। यह तीन वर्ष की आयु तक बोलना भी नहीं सीख पाए थे। वर्ष 1908 में इनके माता पिता ने इनका विवाह जानकी नामक कन्या से कर दिया।
श्रीनिवास रामानुजन् जब मैट्रिक कक्षा में पढ़ रहे थे उसी समय उन्हें स्थानीय कॉलेज की लाइब्रेरी से गणित का एक ग्रन्थ मिला। ‘ए सिनोप्सिस आफ एलीमेंट्री रिजल्ट्स इन प्योर एंड एप्लाइड मैथमेटिक्स (Synopsis of Elementary Results in Pure and Applied Mathematics)’ लेखक थे ‘जार्ज एस. कार्र (George Shoobridge Carr)’ रामानुजन ने जार्ज एस. कार्र की गणित के परिणामों पर लिखी किताब पढ़ी और इस पुस्तक से प्रभावित होकर स्वयं ही गणित पर कार्य करना प्रारंभ कर दिया।
गणितीय अटकल दिया जिसे रामानुजन् अटकल (Ramanujan conjecture) कहते हैं। इस अटकल के अनुसार 12 भार वाले कस्प फॉर्म के फुरिए गुणांकों से बना रामानुजन टाऊ फलन श्री वी. रामास्वामी अय्यर से मिले।
अय्यर गणित के बहुत बड़े विद्वान थे। यहां पर श्री अय्यर ने रामानुजन् की प्रतिभा को पहचाना और जिलाधिकारी श्री रामचंद्र राव से कह कर इनके लिए 25 रूपये मासिक छात्रवृत्ति का प्रबंध भी कर दिया। इस वृत्ति पर रामानुजन् ने मद्रास में एक साल रहते हुए अपना प्रथम शोधपत्र प्रकाशित किया। शोध पत्र का शीर्षक था बरनौली संख्याओं के कुछ गुण” और यह शोध पत्र जर्नल ऑफ इंडियन मैथेमेटिकल सोसाइटी में प्रकाशित हुआ था। रामानुजन ने इंग्लैण्ड में पाँच वर्षों तक मुख्यतः संख्या सिद्धान्त के क्षेत्र में काम किया।
श्रीनिवास रामानुजन् की 7 हकीकत / About Srinivasa Ramanujan
1. उनकी 125 वी एनिवर्सरी पर गूगल ने अपने लोगो को इनके नाम पर करते हुए उन्हें सम्मान अर्जित कीया था।
2. 2014 में उनके जीवन पर आधारीत तमिल फ़िल्म ‘रामानुजन् का जीवन’ बनाई गयी थी।
3. उनकी उपलब्धियों को देखते हुए 1729 नंबर हार्डी-रामानुजन नंबर के नाम से जाना जाता है।
4. इंग्लैंड में हुए जातिवाद के वे गवाह बने थे।
5. रामानुजन् ने कभी कोई कॉलेज डिग्री प्राप्त नही की। फिर भी उन्होंने गणित के काफी प्रचलित प्रमेयों को लिखा। लेकिन उनमे से कुछ को वे सिद्ध नही कर पाये।
6. गवर्नमेंट आर्ट कॉलेज में पढ़ने के लिये उन्हें अपनी शिष्यवृत्ति खोनी पड़ी थी और गणित में अपने
लगाव से बाकी दुसरे विषयो में वे फेल हुए थे।
7. श्रीनिवास रामानुजन् / Srinivasa Ramanujan स्कूल में हमेशा ही अकेले रहते थे। उनके सहयोगी उन्हें कभी समझ नही पाये थे। रामानुजन् गरीब परीवार से सम्बन्ध रखते थे और अपने गणितो का परीणाम देखने के लिए वे पेपर की जगह कलमपट्टी का उपयोग करते थे। शुद्ध गणित में उन्हें कीसी प्रकार का प्रशिक्षण नही दिया गया था।खुद से गणित सीखा और अपने जीवनभर में गणित के 3,884 प्रमेयों का संकलन किया। इनमें से अधिकांश प्रमेय सही सिद्ध किये जा चुके हैं।
[स्रोत- बालू राऊत]