खुद से कभी मुंह न मोड़ना

प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री दुनियां को यह समझाने की कोशिश कर रही है कि इंसान दूसरे से प्यार रखे लेकिन इतना नहीं की वो खुदको ही भूल जाये। याद रखना दोस्तों जीवन में कोई भी हमारा साथ कभी भी छोड़ सकता है लेकिन हम अपना साथ मरते दम तक नहीं छोड़ते कोई हमारी पीड़ा केवल सुन सकता है लेकिन दर्द तो केवल हमे ही होता है इसलिए खुदसे कभी मुँह ना मोड़ना खुदपर से अपना भरोसा और विश्वास कभी कम ना होने देना।

खुद से कभी मुंह न मोड़ना

अब आप इस कविता का आनंद ले।

प्यार करना किसीको इतना की,
खुदको ही कभी भूल न जाना।
ज़िन्दगी है एक ऐसी महफ़िल,
जिसके कदमो पर नाचता,
हर दूसरा दिवाना।
क्या पता कौन कब पलट जाये?
उम्मीदे जागकर किसीकी,
फिर कोई किसी के पास भी ना आये।
इसलिए हर हाल में अपना हाथ थामना।
हर परिस्थिति में रखना बस खुदसे ही ये कामना।
इच्छाये केवल खुदसे रखना।
जीवन के हर पड़ाव का रंग,
तुम बस खुदके दम पर ही चखना।
मेहनत का डंका खुदके दम पर बजा।
खुदको कर उदास, तू ना दे खुदको हर बात की सज़ा।
थाम अपना हाथ और खुदको सच्चा दोस्त बनाले।
बस खुदपर रख भरोसा,
अपने दम पर तू अपनी किस्मत जगाले।

धन्यवाद

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