इतर मागास वर्ग(ओबीसी), विमुक्त जाती(विजा ), भटक्या जमाती, विशेष मागास प्रवर्ग के सभी जाती के उन्नत प्रगत गट से निकलने के लिये जल्दी से जल्दी प्रस्ताव सादर करने के लिये विनती की. 1994 में इंदिरा साहनी के आयोग के अनुसार इतर मागास वर्ग क्रीमीलेयर तत्व लागू कर दिये। 1994 से 2004 में विजा(अ), भज(ब) इन लोगों को उनमें से निकल दिया.2004 से आगे ये पूरे ओबीसी समाज को लागू कर दिया। 2013 में महाराष्ट्र राज्य सरकार ने विजा(अ), भज, विशेष मागास प्रवर्ग इन सभी जाति को ओबीसी क्रीमीलेयर से निकला जा सकता है। महाराष्ट्र राज्य सरकार सभी लोग इस सूचना किसी कोई हरकत हो इसलिये सरकार ने अक्टूबर 2014 में राज्य शासन के पास कर देना चाहिए.
ओबीसी क्रीमी लेयर सरकार ने क्रिमी लेयर की परिभाषा में वार्षिक आय 6 लाख से 8 लाख करने की वास्तव मे पिछड़ा वर्ग की परिभाषा यह है, धन-हीन, भूमि-हीन को पिछड़ा कहते है, जिसमे नाई, धोबी, तेली, कुम्हार, लुहार आते है, जो मूल रूप से बड़े किसान है, वो इसमे शामिल हो गये है, अहिर, जाट, गुज्जर आदि ये सब इनकी चाल है.
वास्तविक पिछड़ो का हिस्सा खाने का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के उप-वर्गीकरण के मुद्दे की जांच के लिए संविधान के अनुच्छेद 340 के तहत एक आयोग की स्थापना के प्रस्ताव को मंजूरी दी. यह आयोग अपनी रिपोर्ट 12 सप्ताह के अंदर देना हैं. इस आयोग की सिफारिशों के आधार पर पिछड़े वर्गों के अंदर उपवर्गों को भी बनाया जाएगा.
[स्रोत- बालू राऊत]