फिर भी

ज़िन्दगी की गहराई

zindgi ki Gahrayi

प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री समाज को यह समझाने की कोशिश कर रही है कि सब अपनी कहानी के हीरो होते हैं सब अपनी -अपनी भूमिका अपने जीवन में निभा रहे हैं , जिसकी कहानी सबसे अच्छी होती है वह लाखों के लिए एक प्रेरणा बन जाती है, अगर हर इंसान चाहे तो अपने जीवन से वह लाखों को बहुत कुछ सिखा सकता है लेकिन उसके लिए उसे मालूम करना होगा कि वह क्या अच्छे से कर सकता है जो दूसरों से अलग हो और जिससे लाखो लोग उसकी कहानी से सीखे।

इन पंक्तियों में कुछ गुप्त राज़ है, पढ़ने वाले के मन में लगन होगी तो उसे ये ज़रूर समझ आयेगी, इसे अपना के वह जीवन में बहुत कुछ कर पाएगा और उसकी कहानी भी मशहूर होगी। ये बात सोचनीय है कि मेहनत तो सब करते है फिर बड़े मुकाम पर सफलता सिर्फ कुछ ही को क्यों मिलती है???

अब आप इस कविता को ध्यान से पढ़े।

ज़िन्दगी की गहराई को पढ़ कर पाया,
हर एक का जीवन एक अनोखी कहानी है।
जिसे इस दुनियाँ में रहकर,
सबको अच्छे कर्मो से सजानी है।

ज़िन्दगी की गहराई को पढ़ कर पाया,
अच्छी किताबें और अच्छी संगत,
हमे ईश्वर द्वारा, लिए जाने वाली,
परीक्षा के लिए तैयार करती हैं।

ज़िन्दगी की गहराई को पढ़ कर पाया,
अच्छे को और अच्छा बनाने के लिए,
ईश्वर हर कदम पर उसकी परीक्षा लेता हैं।

ज़िन्दगी की गहराई को पढ़ कर पाया,
बुरा न मान, किसी की निंदा का ,
क्योंकि वो भी ईश्वर की परीक्षा का ही एक हिस्सा है।

ज़िन्दगी की गहराई को पढ़ कर पाया,
अपने में मद मस्त रहने वाला व्यक्ति,
जीवन में बहुत कुछ, अपने दम पर पा सकता है।

ज़िन्दगी की गहराई को पढ़ कर पाया,
किसी को समझना है तो,
उसके कपड़े या बोली से ज़्यादा,
उसकी भावना पर ध्यान दो।

ज़िन्दगी की गहराई को पढ़ कर पाया,
ईश्वर और सफलता की प्राप्ति,
तीर्थ स्थानों में नहीं,
अपने अंदर से होगी।

ज़िन्दगी की गहराई को पढ़ कर पाया,
विचित्र है ये दुनियाँ,
अंतरमन को नज़र अंदाज़ कर,
बाहरी दिखावें को मानती है।

ज़िन्दगी की गहराई को पढ़ कर पाया,
इस दुनियाँ में,तुम्हारे से ज़्यादा अच्छा,
तुम्हें कोई नहीं समझ सकता,
क्योंकि दूसरा तुम्हारी पीड़ा सिर्फ सुन सकता है,
महसूस तो सिर्फ तुम्हें ही होता है।

विशेष:- ये पोस्ट इंटर्न प्रेरणा महरोत्रा गुप्ता ने शेयर की है जिन्होंने Phirbhi.in पर “फिरभी लिख लो प्रतियोगिता” में हिस्सा लिया है, अगर आपके पास भी है कोई स्टोरी तो इस मेल आईडी पर भेजे: phirbhistory@gmail.com.

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