गोरखपुर में स्वतंत्र भारत में हिन्दी की विकास यात्रा

उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ एवं महाराणा प्रताप स्नातकोत्तर महाविद्यालय जंगल धुसड़, गोरखपुर के द्वारा दो दिवसीय कार्यशाला आयोजित किया गया जिसमें ‘स्वतंत्र भारत में हिन्दी की विकास यात्रा’ विषय पर विश्वविद्यालय और महाविद्यालय के हिन्दी के प्रोफ़ेसर, विषय विशेषज्ञयों ने इस दो दिवसीय तकनिकी कार्यशाला को चार सत्रों में कार्यक्रम को किया ।

गोरखपुर में स्वतंत्र भारत में हिन्दी की विकास यात्रा

जिसके पहले सत्र में यानि 3 फरवरी 2018 को स्वागत सत्र और 4 फ़रवरी 2018 को समापन सत्र हुआ । यह कार्यशाला दो महाविद्यालय के नेतृत्व में किया गया । 3 फ़रवरी को सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक दो सत्रों में स्वागत के साथ हिन्दी को राष्ट्र भाषा बनाने के लिए पुनः एक बार फिर इतिहास को दुहराया गया। कार्यशाला चार तकनिकी सत्रो में संपन्न हुई।

प्रथम सत्र जिसमें राष्ट्रीय कार्यशाला का उदघाट्न प्रतिष्ठित स्तंभकार एवं उत्तर प्रदेश विधान सभा अध्यक्ष माननीय ह्रदय नारायण दीक्षित जी ने किया। अध्यक्ष डॉ कन्हैया सिंह आजमगढ़, प्रोफ़ेसर सदानन्द प्रसाद गुप्त लखनऊ के कार्यकारी अध्यक्ष एवं महाराणा प्रताप पी जी कालेज के प्राचार्य डॉ प्रदीप कुमार राव और अध्यापकगण, और बी.एड विभाग के सभी छात्राध्यापक, छात्राध्यापिका और महाविद्यालय के समस्त कर्मचारी आदि उपस्थित रहे ।

दूसरे सत्र में अध्यक्ष प्रोफेसर अमरनाथ शर्मा कलकत्ता मुख्य वक्ता डॉ सर्वेश दुबे मऊ, डॉ गायत्री सिंह, कानपुर उपस्थित रहे। जिसमे हिन्दी की इस देश में क्या स्थिति है ? कैसे इसे देश की राष्ट्रभाषा बनाया जाय? अन्य देशों में हिंदी भाषा की क्या महत्त्व है ? कितना विकास है? हिन्दी का क्या स्थान है विश्व में ये बताया गया। दूसरे दिन तीसरे सत्र में अध्यक्ष डॉ अनुपम अनंत, अलाहाबाद सह अध्यक्ष डॉ योगेंद्र प्रताप सिंह, कानपुर मुख्य वक्ता डॉ वेदप्रकाश पांडेय गोरखपुर उपस्थित रहे।

और चौथे सत्र में अध्यक्ष डॉ शुशील कुमार पांडेय, सुल्तानपुर, डॉ सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी, छपरा सत्र की मुख्य अतिथि डॉ मीनाक्षी सिंह कानपूर थी। समापन समारोह में मुख्य अतिथि प्रोफ़ेसर राम देव शुक्ल अध्यक्ष दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफ़ेसर विजय कृष्ण सिंह और रमेश चंद्र त्रिपाठी, डॉ योगेंद्र सिंह, प्रोफेसर पवन अग्रवाल इत्यादि उपस्थित रहे और सभी लोगों ने हिन्दी के विषय में अपना अपना उत्तम विचार दिया और सदैव हिन्दी भाषा को ही अधिक अपने भाषा में उपयोग करने को कहा और साथ ही यह भी बताया कि हिन्दी जल्द ही भारत देश की राष्ट्र भाषा होगी और विश्व में इसका स्थान सरवोच्च होगा। इसी के साथ चौथे सत्र का समापन कर दिया गया।

[स्रोत- अभय चौधरी]

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