ख़ामोशी का आलम

प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री दुनियाँ को यह समझाने की कोशिश कर रही है कि शांति में बैठ कर खुद के अंतर मन में झाँक कर ही अपनी क्षमताओं का पता लग पाता है और जो अपने जीवन में खुदके अंतर मन में ना झाँक केवल दूसरो में ही बुराई ढूंढ़ते है वह जीवन के अंत में पछताते है।

Good luck

याद रखना दोस्तों इस दुनियाँ में कोई भी ऐसा इंसान नहीं जिसे सब कुछ आता हो सबमे ही कुछ न कुछ कमी तो होती है। 24 घंटे तो सबके पास ही है अब उसमे खली समय में या तो खुदकी गलतियाँ सुधारने में लगादो या दूसरे में खोट ढूंढ़ने में लगादो ये आप पर निर्भर करता है आप अपना जीवन कैसे बिताना चाहते है।

अब आप इस कविता का आनंद ले।

ख़ामोशी का आलम ही हमे,
अपने तक पहुंचाता है.
अपने मन की ही छुपी बात,
ये हमे धीरे से बताता है.
अफ़सोस होता है उनके लिए,
जो अपने मन में ही नहीं झांकते.
अपनी क्षमताओं का न समझ,
बस दूसरे के जीवन को ताकते,
हौसले तो बुलंद उनही के होते,
जो बिन बात पर, दूसरे की सुन कर रोते.
अपनी क्षमताओं को जगाने में,
वो अपनी सुध-बुध है खोते.
फिर जाकर जीवन के अंतिम चरण में,
वो चैन से है सोते।

धन्यवाद

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