डिवाइस फ्री डिनर के साथ स्वास्थ्य की सौगात

device free dinner

हम उसकी कल्पना भी नही कर सकते, पर लोग उसी बात को ज्यादा तवज्जो दे रहे हैं. सभी लोगों मे आज टेक्नोलॉजी के प्रति एक रूझान देखा गया है जो किसी गलत होने का संकेत तो देता है लेकिन नकारने की आदत हमे उसके और करीब लेकर जाती हैं. टेक्नोलॉजी से घिरा रहना हर किसी को लुभाता हैं. नई बातों को जानने-सीखने का माध्यम भी यही है और हमे सही राह से भटकाने का मार्ग भी. कईयो के लिए एक काम करने मात्र साधन हैं तो किसी के लिए यह एक मनोरंजन मात्र.

नया whatsapp जब किसी भी व्यक्ति के मोबाइल में इंस्टाल होता हैं तो उस सुख का आनंद लेने का हक सिर्फ उसको ही होता हैं. आज यहां पर भी कुछ ऐसे ही बात हो रही हैं ‘डिवाइस फ्री डिनर’ कहते है कि किसी भी परिवार में याफिर वह परिवार जो ग्रुप फैमिली हों उस घर में हमेशा आपको डिनर की टेबल पर खाने की प्लेट के बगल में कोई इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस जरूर मिलेगा जो किसी बुरी लत से कम नही है.

एक सर्वे के अनुसार, 47 फीसदी लोगों का कहना हैं कि परिवार के मुखिया ने हमेशा से ही बच्चों को डिनर टबल पर कोई भी इलेकट्रॉनिक गैजेट को लाने से मना किया है लेकिन बच्चे हमेशा अपनी तकनीक को डिनर टेबल पर रख देते हैं.
गैजेट्स का डिनर के समय इस्तेमाल होना एक परिवार के साथ उसकी बातचीत को प्रभावित करता है क्योकि एक डिनर ही ऐसा माध्यम होता है जिसके द्रारा परिवार के साथ सूचनाओं का आदान-प्रदान मुख्य रूप से होता है.

जानकारों का कहना हैं कि इलैक्ट्रॉनिक डिवाइसों ने दुनिया में उससे जुड़े होने की बीमारी और लत की संस्कृति पैदा कर दी हैं.जिसमे सभी बच्चे और कभी-कभी बड़े भी उसमें समा गए हैं. इसलिए घर के मेंटर को हमेशा अपने परिवार के भले के लिए ही उसी हिसाब से फैसले लेने चाहिए जो बच्चों मे एक आदर्शवादी व्यक्ति बनने का संकेत दें.

क्या डिवाइस फ्री डिनर एक प्रकार से स्वास्थय को चुस्त करने वाला प्रमाण हैं. हम इसे इस रूप में भी देख सकते है. अक्सर पाया गया है कि ज्यादातर लोगों के अपने मोबाइल से जुड़े होने की वज़ह से उनमें कई प्रकार की बीमारियाँ उत्पन्न हो जाती है. साथ ही खाते वक्त अपने परिवार के साथ अपनी पूरी दिनचर्या की बातें करना यह बच्चे में एक अच्छे गुण के संकेत देता हैं.

घर के बड़े लोग ज्यादातर आज की टेक्नोलॉजी के माध्यम से ही अपनी परिवार को सही और भलीभॉति गाइड करते है लेकिन जब बच्चों में उसका कोई असर न हों यह एक तरह से बडे लोगों पर कई गहरे छाप छोड़ जाता है जो किसी के लिए खतरे से खाली नही हैं.

विशेष:- ये पोस्ट इंटर्न कपिल मुनि ने शेयर की है जिन्होंने Phirbhi.in पर “फिरभी लिख लो प्रतियोगिता” में हिस्सा लिया है, अगर आपके पास भी कोई स्टोरी है. तो इस मेल आईडी पर भेजे: phirbhistory@gmail.com

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.