मैं कोई अनोखा इंसान नहीं

प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री दुनियां को यह समझाने की कोशिश कर रही है कि ऐसा नहीं है कि वह अपनी कविताओं के ज़रिये कुछ अलग बात लोगो को बताती है जो लोगो को पता नहीं आज कल सब पढ़े लिखे होते है लेकिन फिर भी हम कभी-कभी ना चाहते हुये भी गलतियाँ करते है हमारे मन में बहुत बार गलत विचार भी आते बस वक़्त-वक़्त पर अच्छाई को पढ़ कर दोहराना पड़ता है।majbooriyanमेरी इन कविताओं से हर युग की पीढ़ी को शांति मिले बस यही मगल कामना कर हर रोज़ मैं ईश्वर का ध्यान कर कुछ लिखती हूँ क्योंकि बहुत बार लोग सही होकर भी अपनी बात नहीं रख पाते क्या पता ये कविताये उन तमाम लोगो को राहत पहुँचाये। याद रखना दोस्तों कवि और कवियत्रियाँ कुछ अलग नहीं होते वो भी आम इंसान की तरह अपना जीवन बिताते है बस हमारी सोच थोड़ी अलग होती है हम अपने शब्दों को हथियार बनाकर मासूमो के हक़ में लिखते है। कवियों की कविताओं में कुछ जीवन से जुड़े गहरे इशारे होते है जिन्हे हर कोई समझ नहीं पाता।

अब आप इस कविता का आनंद ले।

ऐसा नहीं की मैं कुछ अनोखा लिखती हूँ।
इस दुनियाँ की भीड़ में कुछ अनोखी दिखती हूँ।
फिर भी कुछ तो मेरे अंदर है ऐसा,
शांति का प्रकाश समेटे एक कमल के फूल के जैसा।
जिसने दूसरे से मुझे अलग बनाया।
मेरे सादगी भरे इस मन को अंदर से सजाया।
उस सादगी को भले ही इस दुनियाँ में हर कोई समझ ना पाया।
बदलती दुनियाँ के इस दौर में,
फिर मुझे भी ये ख्याल आया।
क्या ना इस दुनियाँ का दर्द,
अपनी कविताओं में समेट लूँ।
जो कह नहीं पाते, उन्हें भी इन्साफ का हक़ मैं दूँ।
बिन कुछ कहे ही, इस दुनियाँ को बस इशारे मैं दूँ।

धन्यवाद।

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