12 अक्टूबर को दिल्ली के सचिवालय के सामने से चोरी हुई अरविंद केजरीवाल की कार 14 अक्टूबर को गाजियाबाद के मोहन नगर से बरामद हो चुकी है गाजियाबाद पुलिस जल्द ही इस कार को दिल्ली पुलिस को सौंप देगी और दिल्ली पुलिस जल्द से जल्द इस इस कार को दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल के हवाले कर देगी.
चोरी हुई कार की बरामदी को लेकर एक सवाल भी खड़ा होता है क्या पुलिस प्रशासन केवल नेताओं के लिए ही काम करता है. जिस प्रकार दिल्ली CM के कार्य केवल 2 दिन में बरामद हो सकती है तो फिर आम जनता के चोरी हुए सामान दो दो साल तक क्यों नहीं मिलते. दिल्ली में रोजाना ऐसी घटनाएं होती हैं जिनमें किसी की कार्य किसी की मोटरसाइकिल किसी के मोबाइल आदि चोरी होते हैं मगर उनका 2 दिन तो क्या 2 साल तक पता नहीं चलता और ना ही पुलिस प्रशासन उसका कोई जवाब देता है.
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अगर दिल्ली मुख्यमंत्री के लिए इस प्रकार की सुविधाएं हैं कि 2 दिन के अंदर उनकी कार बरामद कर ली गई है तो फिर आम जनता के लिए इस प्रकार की सुविधाएं क्यों नहीं हैं. क्यों देश में सबके लिए एक जैसा कानून नहीं है. देश के बड़े बड़े नेता डींगे हांकते रहते हैं कि देश में कानून व्यवस्था सबके लिए एक समान है. मगर यहां दो राय देखने को मिल सकती हैं किस प्रकार अरविंद केजरीवाल की कार केवल 2 दिन में बरामद हो चुकी पर है आम जनता के चोरी हुए सामान जीवनभर नहीं मिलते.
इस चोरी की घटना से राजधानी का पुलिस प्रशासन कि अनुशासनहीनता भी स्पष्ट होती है और साथ ही स्पष्ट होता है कि किस प्रकार कमजोर हो चुका है पुलिस प्रशासन मगर साथ ही यह भी पता चलता है कि यह पुलिस प्रशासन केवल आम जनता के लिए कमजोर है नेताओं के लिए नहीं.