फिर भी

अगर लाउडस्पीकर प्रचार बंद नहीं किया तो जल्द ही कानो में होगी सुनने वाली मशीन

loud speaker banned

एक समय था, जब सामाजिक, व्यावसायिक, धार्मिक या अन्य किसी गतिविधीयो में प्रचार-प्रसार हेतू धुव्नि विस्तारक यंत्र का प्रयोग होता था, क्योंकि उस समय-काल में प्रचार-प्रसार के अन्य साधन, विकल्प नहीं थे या महंँगे भी थे, लेकिन अब आज के इस दौर में विज्ञान ने काफी तरक्की कर हमें प्रचार-प्रसार व विज्ञापन के कई साधन दिये है जैसे :- न्युज़ पेपर, पेम्पलेट, इलेक्ट्रानिक मीडिया, टीवी, मोबाईल मैसेज, होरडींग, इंटरनैट, वाॅट्सएप इत्यादि.

फिर भी रतलाम शहर में आज भी आर्थिक रूप से सक्षम कम्पनियों, व्यापारियों व सामाजिक, धार्मिक एवं राजनीतिक संगठनों द्वारा कम खर्च में होने वाला पब्लिसिटी का एकमात्र साधन एनाउंसमेंट करवाना है जो अत्यधिक रूप से किया जा रहा है इसी शोर शराबे की अत्यधिक्ता मानव समाज के साथ-साथ पूरे प्राणी जगत के लिए समस्या के रूप में देखा जा रहा है, जेसै आजकल बच्चों को कम उम्र मे ही नजर का चश्मा लगता है, उसी प्रकार आने वाले समय में कानो में ऊचां सुनने कि मशीन भी दिखेगी, यदि इसी अत्यधिक्ता से ध्वनी विस्तारक यंत्र का प्रयोग होता रहा तो।

ऐसे व्यापारिक प्रतिष्ठान जो अपनी आय बढ़ाने व अपने निजी हित हेतु धड़ल्ले से लाउडस्पीकर का प्रयोग करते हैं, कम से कम ऐसे व्यापारीक प्रतिष्ठानों पर तत्काल रोक लगाने का समय आ गया है, इन आथिर्क रूप से सक्षम कम्पनियों एंव व्यापारियों के पास विज्ञापन के अन्य ढेरों विकल्प मौजूद हैं, फिर भी यह सक्षम वर्ग पैसा बचाने के लिए विज्ञापन के लिए लाउडस्पीकर का प्रयोग ज्यादा करता है, जो गलत है।

अक्सर यह भी देखा गया है कि प्रचार करने वाला तांगा या रिक्शा एक ही क्षेत्र में कई बार घुमते रहते है इससे क्षेत्रीय आम जनता को मानसिक प्रताड़ना का अहसास होता है। बाकी कसर व्यापारियों के अलावा धार्मिक, सामाजिक, राजनीतिक संगठन पुरी कर देते हैं। ऐसे में इन संस्थाओं पर लगाम लगाई जाए।

जैसे सप्ताह में एक दिन लाउडस्पीकर का उपयोग पुरी तरह से प्रतिबंधित किया जाए, आपातकालीन स्थिति में सरकारी मुनादी तक ठीक है। एक क्षेत्र में एक दिन में सिर्फ एक बार प्रचार करने की अनुमति हो तो डेसीबल कंट्रोल के साथ।स्वयं के हित, निजी संस्थानों एवं व्यापारियों कि सेल, डिस्काउंट आॅफर आदि पुरी तरह से प्रतिबंधित हो। साथ ही आम जनता को ध्वनी प्रदुषण से होने वाले नुकसान के बारे में जानकारी एक सरकारी अभियान द्वारा दी जाए। जैसे स्वच्छता अभियान की तरह।

|| जय हिन्द ||

विशेष:- ये पोस्ट इंटर्न “विशाखा जैन” ने शेयर की है जिन्होंने Phirbhi.in पर “फिरभी लिख लो प्रतियोगिता” में हिस्सा लिया है, अगर आपके पास भी है कोई स्टोरी तो इस मेल आईडी पर भेजे: phirbhistory@gmail.com

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