ट्रेन का टिकट नहीं तो हवाई जहाज भी चलेगा

अब हवाई यात्रा बहुत सारे लोगों के लिए सपना नहीं रहेगा। बस इसके लिए आपको रेल का टिकट खरीदना होगा। जी हाँ, ठीक सुना आपने, रेल के टिकट में हवाई जहाज की यात्रा करना बच्चों का खेल नहीं बल्कि हकीकत है।

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रेल से हवाई जहाज तक का सफर:

रेलवे बोर्ड के चेयरमैन का कहना है की रोज राजधानी एक्सप्रेस की एसी 1 और एसी 2 में लाखों यात्री सफर करने के लिए अपने टिकट बुक करते हैं। लेकिन मांग और पूर्ति में असंतुलन होने के कारण एसी 2 की अनेक टिकट कनफर्म नहीं हो पाती हैं। इस स्थिति में यदि इन यात्रियों को हवाई यात्रा में करने का मौका मिल जाये तो रेल न यात्रा करने पर होने वाली असुविधा का भार कुछ कम हो जाएगा। रेलवे अपने उन सभी आंकन्फ़र्म्ड यात्री टिकटों की जानकारी एयर इंडिया से साझा करेगा और एयर इंडिया मामूली प्रतियोगी दरों पर हवाई यात्रा का प्रस्ताव देगी तो यात्रियों की असुविधा कम होने की पूरी संभावना है।

रेलवे के चेयर मैन का प्रस्ताव:

रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अश्विनी लोहानी ने पिछली गर्मियों में यह योजना बनाई थी। इसके अनुसार एक यात्री जिसने राजधानी एक्स्प्रेस के एसी फर्स्ट और सेकेंड क्लास के टिकट लिए होंगे और अगर किसी कारण से यह टिकट कनफर्म न होने पर यात्री को थोड़े अंतर से हवाई जहाज का टिकट दिया जा सकता है। जिस समय अश्विनी ने यह योजना बनाई थी वो उस समय एयर इंडिया के चेयरमैन थे। उस समय उनका मानना था की राजधानी के एसी सेकेंड क्लास का किराया हवाई टिकट से कम या लगभग बराबर हो सकता है। लेकिन उस समय एयर इंडिया के चेयर मैन की इस पेशकश का रेलवे ने कोई सकारात्मक जवाब नहीं दिया था।

एयर इंडिया का रुख :

रेलवे के इस प्रस्ताव के बारे में एयर इंडिया के एक अधिकारी का कहना है की अगर एयर इंडिया सरकारी हवाई सेवा है। इस कारण इस प्रस्ताव का सबसे बड़ा लाभ यह होगा की रेलवे के वो सभी यात्री जिनके टिकट कनफर्म नहीं हो पाते हैं उनको एयर इंडिया में रेफर कर सकता है। लेकिन यह सुविधा निजी हवाई सेवा के साथ भी लागू हो सकेगी या नहीं, इसके बारे में कुछ निश्चित नहीं किया जा सकता है। अगर ऐसा हो भी जाता है तो रेलवे के ऊपर निजी हवाई सेवा को अनुचित लाभ पहुंचाने का आरोप लगाया जा सकता है।

इस प्रस्ताव का भाग्य क्या होगा:

इस सुविधा के संबंध में  रेलवे के एक अधिकारी का यह मानना है की अभी इस प्रस्ताव पर कोई भी टिप्पणी करना लगभग असंभव सा है। इस अधिकारी का तो यह भी कहना है की वो पहली बार इस बात को सुन रहे हैं की रेल के किराये और हवाई जहाज के किराये में कोई अंतर होता है।

वास्तविकता क्या है:

अब स्थिति बदल चुकी है। अब अश्विनी लोहानी स्वयं रेलवे बोर्ड के चेयर मैन हैं। उन्होने कहा है की अगर एयर इंडिया उनके इस प्रस्ताव को पुनर्जीवित करके रेलवे को दोबारा भेजेगा तो वह इसपर गंभीरता से विचार करने के लिए और स्वीकार करने के लिए तैयार हैं।

लेकिन एयर इंडिया का हाल यह है की उसका स्वयं भाग्य अधर में प्रतीत हो रहा है। सरकर एयर इंडिया के प्रबंध को निजी हाथों में सौंपने का मन बना चुकी है। ऐसे में अश्विनी लोहानी के पुराने प्रस्ताव को जीवन दान मिलता है या फिर वो ठंडे बस्ते में ही दम तोड़ता है, यह अनिश्चित है।

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