भीमा कोरेगांव ऐतिहासिक विजयस्तम्भ के 200 वर्षों के उपलक्ष्य में सरकार की मानवंदना

हर साल 1 जनवरी को आंबेडकर अनुयायि की ओर से भीमा कोरेगांव विजयस्तम्भ को मानवंदना देने के लिये हज़ारों कि संख्या भीम सैनिक आते हैं. पेशवाई के अस्त का कारण बने भीमा कोरेगांव की ऐतिहासिक लड़ाई के द्विशतकी महोत्सव में विजयस्तम्भ को मानवंदना देने के लिये महाराष्ट्र राज्य सामाजिक न्यायमंत्री राजकुमार बडोलें उपस्थित होंगे. वहाँ कोई अप्रिय घटना ना हो इसलिये 29 दिसंबर को पुणे में पालकमंत्री गिरीश बापट और बडोंले की उपस्थिति में पुणे के वरिष्ठ अधिकारियों की एक बैठक होगी.bheema koregav pillerपुणे जिले के भीमा कोरेगांव में 1 जनवरी 1818 को पेशवा सेना और ब्रिटिशों के बीच हुई लड़ाई में ब्रिटिशोँ के साथ मिलकर लड़े 500 महार सैनिकों के अतुलनीय साहस की वजह से 28,000 कि पेशवा सेना को हराया गया था. पेशवाई के समय, अस्पृश्यता जैसे अमानवीय रिवाज शिखर तक पहुंच गए थे. एक प्रतिशोध के रूप में, महार सैनिको ने ब्रिटिश राष्ट्रीय इन्फैन्ट्री फोर्स के साथसे पेशवा सैनिकों के खिलाफ लड़कर उन्हें पराजित किया था महार सैनिकों के वीरता के परिणामस्वरूप, ब्रिटिशो ने भीमा कोरेगांव युद्धक्षेत्र पर युद्ध में मरने वाले सैनिकों की स्मारक की यादमें एक विजयस्तम्भ बनवाया था जहाँ 1जनवरी 1927 को, डॉ.बाबासाहेब आंबेडकरजी ने पहली बार विजयस्तम्भ को श्रद्धांजलि दी थी. तभीसे हर साल आंबेडकर अनुयायी भीमा कोरेगाव विजयस्तम्भ को श्रद्धांजलि देने आते हैं.

भीम कोरेगांव की ऐतिहासिक लड़ाई को 1 जनवरी 2018 को 200 साल पूरे हो जायेंगे इस अवसर पर, बड़ी संख्या में लोग श्रद्धांजलि अर्पित करने आएंगे. उनकी सुविधा और सरकार के सामाजिक न्याय विभाग कि योजनाओं के बारे में जानकारी देने के लिए यहां कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा जहाँ श्रद्धांजलि देने के लिए खुद बडोलें उपस्थित होंगे, लेकिन कोई सरकारी तामझाम नहीं होगा.

इस घटना से पहले 31 दिसंबर को पुणे के शनिवारवाड़ा में कुछ संगठनों ने सभा की घोषणा की थी. उनका अखिल भारतीय ब्राह्मण महासंघ ने विरोध किया हैं इसीलिए किसी भी वाद विवाद से बचने का सरकार का प्रयास है. इसीलिये पुना के जिला कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक 29 दिसंबर को गिरीश बापट की मौजूदगी में होगी.

गुजरात के दलित नेता जिग्नेश मेवानी भी भीमा कोरेगांव में 1 जनवरी को विजयस्तम्भ को सम्मान देने के लिए आने वाले हैं. उन्होंने गुजरात के उना में दलितों के खिलाफ हुये अत्याचारों के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व किया था, हालही में विधानसभा चुनावों में, उन्होंने भाजप उम्मीदवार को हराकर जीत हासिल की हें.

[स्रोत- धनवंत मस्तूद]

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.