ख़ुशी के आँसू बड़ी मुश्किल से मिलते है

Khushi ke aanshoo

प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री दुनियां को यह समझाने की कोशिश कर रही है कि ख़ुशी के आँसूं यूही नहीं निकलते और जिसको भी ऐसे सुख की प्राप्ति हुई है उसने आजीवन कड़ी मेहनत ही की है। कोई भरी महफ़िल में यूही तो नहीं रोता कोई अपने जज़्बातो पर इसलिए काबू नहीं कर पाता क्योंकि जीवन में कई बार वो भी अकेले में बहुत बार रो चूका है।Khushi ke aanshooफिर इंसान जब अकेले में रो रो कर भर जाता है फिर उसके आँसू भरी महफ़िल में भी नहीं रुकते. जब वो आजीवन परीक्षाये दे-दे कर थक जाता है फिर उसे अपनी मेहनत का फल मिलता है। याद रखना दोस्तों बुद्धा कहते है जो जितना सहता है उसे सुख का अनुभव भी उतना ही होता है और ऐसे वीरो की कथा सुनके पूरा जग उसकी याद में रोता है।

अब आप इस कविता का आनंद ले।

ख़ुशी के आँसू बड़ी मुश्किल से मिलते है।
तकलीफ की आंधी को सहकर ही,
कश्ती और किनारे मिलते है।
सहा है जिसने बिन बाद पर बेहद,
उसकी राह की मंज़िल में सुकून के फूल ही खिलते है।
वो ख़ुशी के आँसू ही,
इंसान के बीते कल की मेहनत को दर्शाते है।
ऐसेही नहीं लोग भरी महफ़िल में अपने अश्क बहाते है.
लगता है दिल में जब दर्दो का तीर,
वही परिस्थितियां बनाती,
एक आम इंसान को वीर।
जिसकी वीरता की कहानियाँ,
इतिहास के पन्नो में जगमगाती,
उसकी महानता को देख,
लोगो की अँखियाँ, खुशियों से भीग जाती।

धन्यवाद

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