प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री दुनियां को यह समझाने की कोशिश कर रही है कि तुम हर रोज़ यहाँ इस दुनियाँ में अपनी यादें बना रहे हो ये तो हर इंसान के अपने खुदके कर्मो पर निर्भर करता है कि उसके जाने के बाद लोग उसे कैसे याद करेंगे। कवियत्री इस कविता के माध्यम से हर नौ जवान को यह समझाना चाहती है कि अगर हमने जवानी में अपना वक़्त बर्बाद करा या हम ध्यान पूर्वक नहीं जिये तो बुढ़ापे में पछताने के सिवा कुछ नहीं रह जायेगा क्योंकि बीता कल कभी वापिस नहीं आता और हर इंसान ही बुढ़ापे तक जियेगा ये भी ज़रूरी नहीं।याद रखना दोस्तों अच्छा और सफल जीवन केवल पैसो से ही नहीं जिया जाता इसमें अच्छे कर्म होने भी उतने ही ज़रूरी है। पैसा और इज़्ज़त दोनों कमाके ही जीवन सफल बनता है और इसके बीच में अपनी सेहत का भी ख्याल रखना होता है जिससे हम अच्छा और लम्बा जी पाये।
अब आप इस कविता का आनंद ले।
आज तुम हो कल तुम्हारी यादें होंगी।
जब तुम ना होंगे,
तो तुम्हारी यादो की बातें होंगी।
वो यादें तुम्हे आज के अच्छे कर्मो से बनानी है।
वक़्त को यू ना गवाओ,
अभी तो चल रही तुम्हारी जवानी है।
एक एक दिन का हिसाब क्या बुढ़ापे में लगाओगे??
ज़रा ये तो सोचो, बेफिक्र होकर यू जीके,
क्या तुम बुढ़ापे तक भी पहुँच पाओगे??
जीवन लंबा और सफल अच्छे कर्मो से होता है।
अच्छे कर्म कर जवानी में,
फिर हर बुज़ुर्ग चैन से बुढ़ापे में सोता है।
इस दुनियाँ की भीड़ में,
हर इंसान ही तो यहाँ अपनों को खोता है।
इस कड़वे सच को भूल,
तू क्यों अपनों के गम में रोता है??
जब तक हो यहाँ अच्छे से जियो,
विश घोल किसी के जीवन में,
तुम किसी दूसरे के हिस्से का अमृत मत पियो।
धन्यवाद।