अन्ना का PM मोदी को अल्टिमेटम

भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को एक व्यक्ति ने पत्र लिखकर आंदोलन करने का अल्टिमेटम दे दिया है। यह व्यक्ति और कोई नहीं एक समय के सुपर हीरो और समाज सेवक श्री अन्ना हज़ारे हैं। उन्होनें मोदी जी को पत्र लिखकर अपनी नाराजगी जताई है। अपने पत्र में उन्होनें स्पष्ट लिखा है कि पिछले आंदोलन को छह वर्ष बीत गए हैं और इन वर्षों में भारत में फैले भ्रष्टाचार और किसानों की समस्याओं पर कोई खास प्रगति नहीं हुई है। उन्होनें मोदी जी को अल्टिमेटम देते हुए अपने पत्र में लिखा है कि अगर उन्हें अपने पत्र का संतोषजनक जवाब नहीं मिलेगा तो वे शीघ्र ही आंदोलन का बिगुल बजा देंगे।Anna hazare

अपने पत्र के मसौदे के बारे में अन्ना ने बताया कि उन्होनें मोदी जी को लिखा है कि गत छह साल में भ्रष्टाचार को रोकने के लिए न तो कोई सख्त कदम उठाया गया है और न ही कोई ठोस कानून बनाया गया है। इसके अलावा लोकपाल और लोकायुक्त की नियुक्ति करने जैसे बिलों पर भी सरकार द्वारा कोई कार्यवाही होती नहीं दिखाई गयी है।

अन्ना ने यह भी लिखा है कि किसानों की समस्याओं को हल करने के लिए बनी स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट पर किसी प्रकार की कोई हलचल होती नहीं दिखाई दे रही है। उन्होनें सरकार के इस रवैये से बहुत सख्त नाराजगी जताई है। इसी लिए अन्ना ने स्पष्ट कर दिया है की अगर उनके पत्र में लिखे मुद्दों पर अगर सरकार की ओर से कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिलेगा तो वो पहले की भांति दिल्ली में आंदोलन शुरू कर देंगे।

अन्ना का पिछला आंदोलन:

अन्ना हज़ारे ने 2011 में भारत को भ्रष्टाचार मुक्त करने के लिए दिल्ली के रामलीला मैदान में एक आंदोलन शुरू किया था। इस आंदोलन के देशव्यापी परिणामस्वरूप 27 अगस्त  2011 को भारतीय संसद में ‘Sense of the House’ का प्रयोग करते हुए एक रिजोल्यूशन पास किया था जिसमें इस बात का निर्णय लिया गया था की जल्द ही केंद्र में लोकपाल की नियुक्ति कर दी जाएगी। इसके अतिरिक्त हर राज्य में लोकायुक्त और सिटिज़न चार्टर जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर शीघ्र ही ठोस कानून बना दिया जाएगा। इस रिजोल्यूशन के बाद ही अन्ना ने अपना निर्जल व्रत तोड़कर आंदोलन स्थगित कर दिया था। आज इस आंदोलन को लगभग छह वर्ष बीत गए हैं। लेकिन इस रिजोल्यूशन के अनुसार कोई भी काम नहीं हुआ है।

बीजेपी का धोखा:

अपने पत्र में अन्ना हज़ारे ने लिखा है कि जिस समय यह आंदोलन हुआ था उस समय बीजेपी संसद में विपक्ष की भूमिका में थी। इसी भूमिका में बीजेपी ने न केवल आन्दोलन में अन्ना का साथ दिया था बल्कि रिजोल्यूशन के निर्माण में भी अपना पूरा समर्थन दिया था। 2014 में बीजेपी के सत्ता में आने के बाद लोकपाल और शेष मुद्दों पर बीजेपी की ओर से काम किए जाने की उम्मीद थी। अन्ना जी का मानना था कि नई सरकार को इन मुद्दों पर काम करने के लिए थोड़ा समय देना ज़रूरी था जो उन्होनें दिया। वो कहते हैं कि उन्होनें पिछले छह वर्षों में प्रधानमंत्री कार्यालय को कई बार लिखकर इस ओर ध्यान दिलवाने का प्रयत्न किया, लेकिन ऐसा लगता है की हर बार उनका पत्र सही जगह या तो पहुंचा नहीं या फिर उन्हें जवाब देने की ज़रूरत नहीं समझी गयी।

[ये भी पढ़ें : 5 रुपए में नाश्ता और 10 रुपए में लंच]

उन्होनें प्रधानमंत्री से इस बात की शिकायत भी करी कि उन्होने अपने लोकपसंद कार्यक्रम ‘मन की बात’ में एक बार भी इस संबंध में कोई ज़िक्र नहीं किया। श्री हज़ारे जी का कहना है कि लोकसभा चुनाव जीतने से पहले उन्हें इस बात का आश्वासन दिया था कि मोदी जी भ्रष्टाचार मुक्त भारत बनाएँगे। इस संबंध में उन्होनें आगे कहा कि पिछले तीन वर्षों में मोदी जी न तो लोकपाल की नियुक्ति कर सके और न ही लोकायुक्त नियुक्त हो सके। इतना ही नहीं बल्कि सुप्रीम कोर्ट ने भी इस संबंध में बार-बार याद दिलाई है। लेकिन इसके बाद भी इस दिशा में कोई प्रयास होता नहीं दिखाई दिया है।

यहाँ तक की जिन राज्यों में सत्तानशीन पार्टी की सरकारें हैं वहाँ भी नए कानून के अंतर्गत लोकायुक्त नियुक्त नहीं हो सके हैं। अन्ना जी का मानना है कि इन बातों से यह प्रतीत होता है की मोदी जी की इच्छा लोकपाल और लोकायुक्त को नियुक्त करने की नहीं है।

किसानों की परेशानी पर भी मोदी का मौन:

अन्ना ने अपने पत्र में देश में किसानों द्वारा की जाने वाली बढ़ती हुई आत्महत्याओं का भी जिक्र किया है। श्री हज़ारे मानते हैं कि मौजूदा हालात में किसानों को लागत के अनुसार फसल के दाम मिलने चाहिएँ और इस बारे में उन्होनें कई बार सरकार को पत्र भी लिखा था। लेकिन मोदी सरकार का इस दिशा में भी मौन और स्वामीनाथन रिपोर्ट पर चुप्पी कुछ और ही बयान करती है। वो कहते हैं कि इसी बात को लेकर पिछले कुछ दिनों से देश के अलग-अलग हिस्सों में किसान आंदोलन भी कर रहे हैं।

[ये भी पढ़ें : डोकलाम से पीछे हटने के पीछे क्या है चीन की चाल]

महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, तमिलनाडू, आन्ध्र्प्रादेश, तेलंगाना, हरियाणा, राजस्थान आदि के किसान अभी तक इस दिशा में कार्यवाही की आस लगाए बैठे हैं। इस मांग के अतिरिक्त अन्ना, सभी राजनैतिक पार्टियों को सूचना के अधिकार में लाने की मांग भी कर रहे हैं।

आंदोलन का वक्त आ गया:

अन्ना हज़ारे अपने पत्र में लिखते हैं कि क्यूंकी मोदी जी की ओर से पिछले तीन वर्षों में एक बार भी उनके किसी भी पत्र का जवाब नहीं आया है, इसलिए अब उन्होनें अपनी बात को रखने के लिए आंदोलन का रास्ता ही बचा है। श्री हज़ारे ने लिखा है कि जब तक उनके पत्र में लिखी गयी बातों और मुद्दों पर कोई ठोस कार्यवाही नहीं होती हैं तब तक वो दिल्ली में अपने आंदोलन को जारी रखेंगे। उन्होनें आगे लिखा है की आंदोलन की तिथि वो अगले पत्र में घोषित कर देंगे।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.