प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री दुनियां को यह समझाने की कोशिश कर रही है कि हम मानव ज्ञान के रास्ते में चलकर अक्सर खुदको ईश्वर समझने की भूल करते है ये बात सच है की ईश्वर हमारे अंदर ही है लेकिन हम अक्सर ये भूल जाते है कि अगर वो हमारे अंदर है तो वो सबके ही अंदर है और जो अपने जीवन में सफल बनकर भी कभी घमंड नहीं करता उसका साथ ईश्वर उसके अंतिम क्षण तक निभाते है।
घमंड की राह में ज्ञानी भी अक्सर अज्ञानी बन जाता है वो ये भूल जाता है कि हम सब ही यहाँ बस कुछ पल के ही मेहमान है इसलिए मानव होने के कारण हम केवल प्रयास कर सकते है ईश्वर के दिखाये मार्ग पर चलने पर कभी गलतियाँ भी होंगी वो हमे अंदर से तोड़ेंगी लेकिन नियंत्रण प्रयास कर हम खुदपर विजय प्राप्त कर सकते है क्योंकि गलती को लेके बैठे रहना भी एक गलती है ये क्रिया इतनी आसान नहीं जितनी लगती है ये केवल अभ्यास करने से ही आती है जब जागोगे तब सवेरा होजायेगा हमारे जीवन की डोर केवल हमारे हाथ में है।
अब आप इस कविता का आनंद ले।
हम मानव है भगवान नहीं,
ईश्वर ने अपनी हर किताब में,
बस यही बात है कही।
मेरा एक छोटासा अंश तुम सब में पनपता है।
उसकी पहचान कर ही, हर मानव,
मेरे सही रूप को समझता है।
जो मुझे पहचान कर भी ओढ़े घमंड की चादर,
इस जग में करता ना फिर कोई उसका आदर.
सब अलग है, सबकी अनोखी पहचान है।
इस दुनियाँ की भीड़ में,
अपनों संग रहने वाले,
हम सब ही तो यहाँ,
बस कुछ पल के मेहमान है।
धन्यवाद