तारानगर किसान भवन में बोले युवा “स्वार्थ नही सेवा के लिए हो राजनीति”

आज तारानगर तहशील के युवाओ द्वारा किसान मजदूर भवन में आयोजित होली मिलन समारोह एवम परिचर्चा बैठक में काफी संख्या में युवाओ ने भाग लिया। इस मिलन समारोह एवम परिचर्चा बैठक में युवाओ ने तमाम मुद्दों से जुडी बातों पर अपने विचार प्रकट किए। इस बैठक को पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष अशोक शर्मा ने सबोधीत करते हुए कहा कि युवा वर्ग को अपनी ताकत पहचाननी होगी

तारानगर किसान भवन में बोले युवा स्वार्थ नही सेवा के लिए हो राजनीति

साथ ही उसे गलत सही के फर्क को पहचान कर आगे बढ़ना होगा। वही हनुमान सामोता ने किसान मजदूर भवन को नमन करते हुए कहा कि ये वो ही भवन है, जहा से तारानगर के किसानों के हको की लड़ाई शुरू होती है, सामोता ने अपने विचार आगे व्यक्त करते हुए कहा कि किसान मजदूर भवन में आना और वहा युवा साथियो के साथ इस प्रकार के गहन मुद्दों पर चर्चा करना मेरे लिए सौभाग्य की बात है।

साथ ही उन्होंने सभी युवा साथियो से प्रेम एवम ऐकता बनाये रखने का आग्रह किया। आदित्य निर्बान ने कहा कि हमे अपना नेतृत्व धरातल पर काम करने वाले लोगो में से चुनना चाहिए तभी हमारा भला हो सकता है,नही तो हम लोग और पिछड़ जाएंगे। सुनील चौधरी ने अपने वक्तव्य में युवाओ से आग्रह किया कि अपने अपने गांव में 10-10 नोजवानो की टोली मनाकर जायज़ मागो के लिए आवाज़ उठाये। श्रवण गड़ाना ने इस मौके पर जाति धर्म से पहले इंसानियत को महत्व देने की बात पर जोर डाला एवम कहा कि अपनी इतनी सी पहचान रखो की हम भारत के निवासी है।

मुकेश शर्मा ने इस बैठक में समाज में फैली बुराइयों,कुप्रथाओं के खिलाफ युवाओ को सघर्ष करने का आव्हान किया। रामपाल पारीक ने युवाओ से एक जुट होकर हर अपराध एवम बुराई के खिलाफ सघर्ष करने का निवेदन किया एवम एक जागरूक नागरिक बनकर रहने का निवेदन किया। इस मौके राधेश्याम पारीक, अतुल वर्मा, गुलशन फगेड़िया, पवन पुनिया, सजय महला ने अपने अपने विचार व्यक्त किये।

इस बैठक को सबोधीत करते हुए जितेंद्र सिंह राठौड़ ने कहा कि हमे मुद्दों की राजनीती करने वाले व्यक्ति को चुनना है, हमे उस व्यक्ति को चुनना है, जो राजनीती स्वार्थ नही सेवा के लिए करे। जितेंद्र सिंह की बात को सबने स्वीकृति दी। इस मौके पर विनोद रुलानिया ने कहा कि एक युवा को अपनी सोच को धार धार बनांनी चाहिए, एवम एक युवा को अपनी बात तथ्यो साक्ष्यों के साथ रखनी चाहिए जिससे हमारी बात का प्रभाव पड़े। हमे ज्यादा से ज्यादा पढ़ना चाहिए एवम लिखना चाहिए जिससे नए विचारों की उत्पत्ति हो साथ ही विचारो को प्रकट करने के लिए शब्द भंडार भी बड़ा करे।

[स्रोत- विनोद रुलानिया]

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